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सीबीआई कोर्ट का बड़ा फैसला, 1.83 करोड़ के फर्जी लोन मामले में पूर्व बैंक मैनेजर सहित तीन को जेल

➤ कुल्लू पीएनबी शाखा के फर्जी केसीसी लोन घोटाले में तीन दोषियों को तीन साल की सजा
➤ 1.83 करोड़ के 41 लोन फर्जी दस्तावेजों पर स्वीकृत, जुर्माना भी लगाया गया
➤ सीबीआई जांच में खुलासा, अन्य 38 मामलों का फैसला अभी बाकी


कुल्लू के ढालपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में हुए एक बड़े वित्तीय घोटाले के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सख्त फैसला सुनाया है। अदालत ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 41 कृषि फसल ऋण (केसीसी) स्वीकृत करने के दोषी पाए गए तीन लोगों को तीन-तीन साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश डॉ. परविंदर सिंह अरोड़ा ने मामले में पूर्व शाखा प्रबंधक अमर सिंह बोध को तीन साल कैद और 45 हजार रुपये जुर्माना, जबकि उसके सहयोगी ताशी फुंचोग और दौलत राम को तीन-तीन साल कैद व कुल 1.10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न भरने पर तीनों को तीन महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

यह मामला 11 अप्रैल 2015 को सीबीआई एसीबी शिमला शाखा द्वारा दर्ज किया गया था, जिसकी शिकायत पीएनबी मंडी सर्कल प्रमुख राजीव खन्ना ने की थी। आरोप था कि वर्ष 2010 से 2012 के बीच तत्कालीन बैंक मैनेजर अमर सिंह बोध ने ताशी फुंचोग और दौलत राम के साथ मिलकर फर्जी राजस्व दस्तावेज और गैर-भार प्रमाण पत्र (एनईसी) के आधार पर कुल 1.83 करोड़ रुपये के 41 लोन स्वीकृत और वितरित किए।

जांच में सामने आया कि दौलत राम के आवेदनों में उसकी तस्वीर लगाई गई थी, लेकिन ऋण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किसी और के थे। यहां तक कि जमाबंदी, जाली चार्ज सृजन रिपोर्ट और अनुसूची घोषणा पत्र भी फर्जी निकले। आरोपियों ने तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक बिशन सिंह को भी गुमराह कर ऋण स्वीकृत करवाए।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, दोषियों के खिलाफ अभी और 38 चार्जशीट पर फैसला आना बाकी है। इससे पहले भी दो अलग-अलग मामलों में अमर सिंह बोध, ताशी फुंचोग, लेख राज, धर्मचंद और बबली शर्मा को सजा हो चुकी है। अदालत का यह फैसला बैंकिंग क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।